What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? 

What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? Structure of Economy अर्थव्यवस्था की संरचना या ढांचा What is Economy प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector) What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? Structure of the Indian Economy भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना What is Economy

भारतीय अर्थव्यवस्था का बर्तमान स्वरुप कोई एक दिन की संरचना नहीं है | इसकी मूल सूत्र की जड़े काफी गहरी है | अंग्रेजी शासन के पहले भारत को “सोने की चिड़िया “ कहा जाता था |What is Economy लेकिन अंग्रेजी शासन ने लगभग 200 वर्षो में भारतीय अर्थवयवस्था का काफी शोषण हुआ |What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? अर्थवयवस्था आजीविका अर्जन की एक प्रणाली है | 

दोस्तों आज हम लोग इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि भारतीय अर्थव्यवस्था क्या है ? और यह कैसे काम करती है | यह कितने प्रकार की होती है | प्राथमिक क्षेत्र क्या है ? , What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? द्वितीयक क्षेत्र क्या है? , तृतीयक क्षेत्र क्या है ? आर्थिक नियोजन का क्या अर्थ है ? What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? अगर अर्थव्यवस्था खराब हो तो इसे ठीक कैसे किया जा सकता है | What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ?मौद्रिक विकास क्या है ? आर्थिक विकास क्या है ? राष्ट्रीय आय क्या है ?बिहार के पिछड़ेपन को दूर कैसे किया जा सकता है |What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? तो दोस्तों इन्ही सब के बारे में चर्चा करेंगे तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढियेगा |  

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What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ? 

अर्थव्यवस्था एक ऐसा तंत्र या ढांचा है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएं संपादित की जाती है, जैसे:- कृषि , उद्योग , व्यापार , बैंकिंग , बीमा परिवहन तथा संचार आदि | ये आर्थिक क्रियाएं एक ओर तो विभिन्न प्रकार के वस्तुए एवं सेवाएं का संपादन करती है तो दूसरी ओर लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है ताकि वे अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु देश में उत्पादित वस्तुओं सेवाएं का क्रय कर सके | What is Economy? What is Economy?

    इस तरह प्रत्येक अर्थव्यवस्था दो प्रमुख कार्य संपादित करती है – 

(1) लोगों की आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाएं का उत्पादन करती है | 

(2) लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है | 

कुछ अर्थशास्त्रियों ने अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है ; What is Economy? अर्थव्यवस्था क्या है ?

आर्थर लेविस (Arthur lewis) के अनुसार “अर्थव्यवस्था का अर्थ ” किसी राष्ट्र के सम्पूर्ण व्यवहार से होता है जिसके आधार पर मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वह अपने संसाधनों का प्रयोग करता है | 

ब्राउन (Brown) के अनुसार “अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की एक प्रणाली है |”(Economy is the system of earning livelihood) 

संक्षेप में , अर्थव्यवस्था समाज की सभी आर्थिक क्रियाओं का योग है |”

इसी प्रकार बिहार की अर्थव्यवस्था का अर्थ बिहारवासियों के संपूर्ण आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन से है जिसके आधार पर बिहारवासियों की मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए बिहार के संसाधनों का प्रयोग किया जाता है | 

Structure of Economy अर्थव्यवस्था की संरचना या ढांचा

अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब विभिन्न उत्पाद क्षेत्रों में इसके विभाजन से है | चुकी अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार के आर्थिक क्रियाएं अथवा गतिविधियां संपादित की है, जैसे:-  कृषि,उद्योग,व्यापार,बैंकिंग,बीमा,परिवहन,संचार आदि |         

इन क्रियाओं को तीन भागों में बांटा जाता है –

(A) प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)

प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र भी  कहा जाता है | इसके अंतर्गत कृषि , पशुपालन , मछली पालन , जंगलों से वस्तुओ प्राप्त करना जैसे व्यवसाय आते है | 

(B) द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector)

द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है | इसके अंतर्गत खनिज व्यवसाय , निर्माण कार्य , जनोपयोगी सेवाएं , जैसे :- गैस और बिजली आदि के उत्पादन आते है | 

(C) तृतीयक क्षेत्र या सेवा क्षेत्र (Tertiary Sector and Service Sector)

तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है | इसके अंतर्गत बैंक और बीमा , परिवहन , संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएं सम्मिलित होती है | ये क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों के क्रियायों को सहायता प्रदान करता है | इसलिए इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है |  

भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना को भी तीन भागों में बांटा जाता है इसे एक चार्ट के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है | 

Structure of the Indian Economy भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना 

(1). प्राथमिक क्षेत्र :-  कृषि , पशुपालन ,  वन , मछली पालन | 

(2). द्वितीयक क्षेत्र :-उद्योग , (कुटीर, लघु, माध्यम बड़े,), निर्माण, गैस एवं बिजली | 

(3). तृतीयक क्षेत्र :- बैंक, परिवहन, संचार, व्यापार, अन्य सेवाएं | 

राष्ट्रीय आय में विभिन्न क्षेत्रों का योगदान :-

आजादी के समय प्राथमिक क्षेत्रों का योगदान 58.7 % था जो घटकर अब केवल 22 % हो गया है | द्वितीयक क्षेत्र का योगदान 1947 में 14.3 था जो बढ़कर 22% हो गया है | तृतीय क्षेत्र का योगदान 1947 में 27% था जो बढ़कर 56% हो गया है | इसका अर्थ यह है की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद योजनात्मक विकाश के क्रम में भारत क्रमश: समृद्धि की ओर बढ़ रहा है | 

Types of Economy (अर्थव्यवस्था के प्रकार ) What is Economy

दुनिया भर में तीन प्रकार की अर्थव्यवस्था पाई जाती है | 

1. Capitalist Economy (पूंजीवादी अर्थव्यवस्था ) What is Economy?

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहां उत्पादन के साधनों का स्वामित्व निजी व्यक्तियों के पास होता है जो इसका इसका उपयोग अपने निजी लाभ के लिए करते है | जैसे :- अमेरिका , जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि | 

2. Socialist Economy (समाजवादी अर्थव्यवस्था) What is Economy?

समाजवादी वह अर्थव्यवस्था है जहां उत्पादन के साधनों का स्वामित्व एवं संचालन देश की सरकार के पास होता है | जिसका उपयोग सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है | चीन , क्यूबा आदि देशों में समाजवादी अर्थव्यवस्था है | विगत वर्षो में भूमंडलीकरण एवं उदारीकरण के कारण समाजवादी अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदलने लगा है| 

Mixed Economy (मिश्रित अर्थव्यवस्था) What is Economy?

मिश्रित अर्थव्यवस्था पूंजीवादी तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था का मिश्रण है |  मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहां उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार तथा निजी व्यक्तियों के पास होता है | भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था है | यह अर्थव्यवस्था पूंजीवाद एवं समाजवाद के बीच का रास्ता है 

Development of Economy (अर्थव्यवस्था का विकास) What is Economy?

अर्थवव्स्ताथा के विकास का एक लम्बा इतिहास है | अर्थव्यवस्था का विकास एक पौधे के विकास के तरह होता है | जिस तरह एक पौधे का क्रमशः विकास होते जाता है और परिपक्वता की स्थिति में उसके फल , डाली आदि का उपयोग मानव हित में होता है | ठीक उसी तरह एक अर्थव्यवस्था का आदिम कल से अब तक विकास हुआ है| What is Economy?

भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की स्थिति किसी एक समय की चमत्कारीक स्थिति नहीं है | इसका एक अपना इतिहास है | What is Economy?

अर्थव्यवस्था के विकास के लिए हम निम्नलिखित दो स्थितियों का विवेचन करेंगे जो दोनों ही पारस्परिक सहयोगी क्रियाएं है :- 

(A). आर्थिक विकास तथा  (B)मौद्रिक विकास 

(A). आर्थिक विकास

ऐसे तो आर्थिक विकास की परिभाषा को लेकर अर्थशास्त्रियों में काफी मतभेद है | इसकी एक सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी जा सकती है | लेकिन आप इसकी कुछ महत्वपूर्ण परिभाषा को जान ले | What is Economy?

प्रो० रोस्टोव (Rostow) के अनुसार “आर्थिक विकास एक ओर श्रम-शक्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का सम्बन्ध है |” 

प्रो० मेयर और बाल्डविन (Meier and Baldwin) ने बताया है की “आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है | 

आर्थिक विकास के मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था के समय क्षेत्रों में उत्पादकता का ऊँचा स्तर प्राप्त करना होता है | इसके लिए विकास प्रक्रिया को गतिशील करना पड़ता है | What is Economy?

What is the difference between Economic growth and economic development (आर्थिक वृद्धि तथा आर्थिक विकास में क्या अंतर है ?)

आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में कोई अंतर नहीं माना जाता है| दोनों शब्दों को एक -दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जाता है | लेकिन इधर अर्थशास्त्रियों द्वारा इन दोनों के बीच अंतर किया जाने लगा है | 

श्रीमती उर्सला हिक्स (Mrs. Urshala Hicks) के अनुसार , “ वृद्धि (Growth)शब्द का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकसित देशों के सम्बन्ध में किया जाता है जबकि विकास (Development) शब्द का प्रयोग विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सन्दर्भ में किया जा सकता है 

डॉ० ब्राइट सिंह (Dr. Bright Singh)  ने भी लिखा है की Growth शब्द का प्रयोग विकसित देशों के लिए किया जाता है|

मैड्डीसन (Madison) नामक एक अर्थशास्त्री ने बताया है की धनि देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर “आर्थिक वृद्धि ” (Economic Growth) का सूचक होता है जबकि निर्धन देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर “आर्थिक विकास ”(Economic Development) का सूचक होता है | 

आर्थिक नियोजन का क्या अर्थ है ? 

राष्ट्र के प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है | 

(B) मौद्रिक विकास :- 

जब मुद्रा का विकास नहीं हुआ था तो लोग वस्तु से वास्तु का लेन-देन कर अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते थे | अर्थव्यवस्था की उस अवस्था को वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter System) कहा जाता है | वह अवस्था आर्थिक विकास की प्रारंभिक अवस्था थी | चुकीं उस समय मनुष्य की संख्या तथा आवश्यकता दोनों ही कम थी | इसलिए वस्तुओं के लेनदेन से उनकी आवश्यकता की पूर्ति हो जाया करती थी | 

                  लेकिन बाद में लोगों की आवश्यकताए बढ़ती चली गई और उनकी संख्या बढ़ने कारण अब छोटे से कस्बे से बढ़कर बड़े गाव एवं क्षेत्र में मनुष्यों का फैलाव होने लगा | इसी स्थिति में मनुष्य के सोच के आधार पर विनिमय का एक समान्य इकाई मुद्रा (Money) प्रादुर्भाव हुआ | अब वस्तु के बदले वस्तु नहीं बल्कि मुद्रा के द्वारा विनिमय की क्रिया होने लगी | अब दूर-दराज क्षेत्रो से भी अपनी आवश्य्कता की पूर्ति के लिए अनाज या अन्य वस्तुओ के बंडल को ले जाने की  जरुरत नहीं पड़ी क्योकि मुद्रा एक समान्य क्रय-विक्रय के साधन का कार्य करने लगा |अर्थव्यवस्था के विकास के इसी कल में व्यक्तियों के समूह पर साशन करने के लिए सरकार का अभ्युदय हुआ | सरकार की स्वीकृति तथा जनता के विश्वास से मुद्रा के चलन होने लगा |  

 देश की सरकार के आधिपत्य से स्थापित बैंकों निर्माण हुआ जिसके द्वारा अब और भी आसानी से मुद्रा का हस्तांतरण किया जाने लगा जिसे हम चेक (Cheque) कहते है | इसे एक व्यक्ति या संस्था दूसरे व्यक्ति या संस्था के नाम जारी करता है और सरकारी आधिपत्य से स्थापित बैंकों के द्वारा पैसे का आदान-प्रदान होता है |  

What is core Core Banking System कोर बैंकिंग प्रणाली क्या है ? 

जब एक व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान तक बिना विलम्ब के बैंक के माध्यम से पैसे का लेन-देन करता है तो बैंक  प्रणाली को कोर बैंकिंग प्रणाली कहते है | इसी तरह एक व्यक्ति प्लास्टिक Plastic के यांत्रिकी संकेत Mechanical Mark से किसी भी समय बैंक के एक चिन्हित स्थान से किसी भी समय पैसा निकल सकता है | ये सारी क्रियाएं बिजली से संचालित कंप्यूटर के द्वारा होता है | बैंक के जिस चिन्हित स्थान से हर समय पैसे निकालने की सुविधा होती है उसे हम एटीएम (ATM=Automatic Teller Machine) कहते है |What is Economy?  

What is Economy?

आज हम लोग बैंकिंग प्रणाली के चेक युग से भी आगे कोर बैंकिंग तथा एटीएम के युग में प्रवेश कर गए है | एटीएम के अलावे हमें आज डेबिट कार्ड (Debit Card) तथा क्रेडिट कार्ड (Credit Card) की भी सुविधा प्राप्त है | इसे भी हम आर्थिक विकास की प्रक्रिया कहेंगे | 

राष्ट्रीय आय (National Income) 

राष्ट्रीय आय को आर्थिक विकास का एक प्रमुख सूचक माना जाता है | किसी देश के एक वर्ष की  अवधी में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाएं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है | सामान्य तौर पर जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश विकसित कहलाता है और जिस देश का राष्ट्रीय आय कम होता है वह देश अविकसित कहलाता है | 

आधारिक संरचना:-

वे सभी तत्व, जैसे :- बिजली,परिवहन,संचार,बैंकिंग,स्कूल,कॉलेज,अस्पताल आदि देश के आर्थिक विकास के आधार है| उन्हें देश के आधारिक संरचना (आधारभूत ढांचा ) कहा जाता है | 

बिहार के विकास की स्थिति 

बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है | यही बिहार है जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था | महावीर ने शांति का संदेश यही किया था| चन्द्रगुप्त, अशोक, शेरशाह , गुरु गोविंद सिंह , बाबू वीर कुंवर सिंह , देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म इसी बिहार में हुआ था | बिहार में ही महात्मा गांधी ने “चंपारण आंदोलन” का बिगुल फूंका था | बिहार में ही लोक नायक जयप्रकाश ने “सम्पूर्ण क्रांति ” का नारा दिया था | लोकगीतकार भिखारी ठाकुर का जन्म इसी बिहार में हुआ था| 

          लेकिन वही बिहार आज कई तरह की समस्याओं का शिकार है | यहां गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार तथा अशांति का माहौल है | साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय है | आज बिहार अति पिछड़े राज्य में गिना जाता है | 

बिहार में पिछड़ेपन के कारण :-

आर्थिक दृस्टि से बिहार के पिछड़ेपन के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है – 

1. तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या 

बिहार में जनसँख्या काफी तेजी से बढ़ रही है | इसके चलते विकास के साधन कम हो जाते है | अधिकांश साधन जनसँख्या के भरण-पोषण में चला जाता है | 

2. आधारिक संरचना का अभाव 

किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए आधारिक संरचना का होना जरूरी है | लेकिन बिहार इस मामले में पीछे है | राज्य सड़क , बिजली एवं सिंचाई की अभाव है | साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं भी कम है | इस वजह से भी बिहार में पिछड़ेपन की स्थिति कायम है | 

3. कृषि पर निर्भरता 

बिहार की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है यहां की अधिकांश जनता कृषि पर ही निर्भर है | लेकिन हमारी कृषि की भी हालत ठीक नहीं है | हमारी कृषि काफी पिछड़ी हुई है | जिसके चलते उपज काफी कम होती है | 

4. बाढ़ तथा सूखा से क्षति 

बिहार में खास कर उतरी बिहार में नेपाल से आये जल से बाढ़ आती है | हर साल कम या अधिक बाढ़ आना बिहार में तय है | इसी तरह 2017 में भी बाढ़ का प्रलय हमारे सामने आया था | जो हमारे जान-माल की काफी क्षति हुआ था और फसल की बहुत बर्बादी हुई थी | 

     इसी तरह सूखे की मार दक्षिणी बिहार को झेलनी पड़ती है | जिससे हमारे किशानो की अकाल जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है | इस तरह बिहार बाढ़ तथा सूखा दोनों के चपेट में रहता है| 

5. औधोगिक पिछड़ापन 

किसी राज्य या देश के लिए उद्योगों का विकास होना जरूरी होता है | लेकिन बिहार में औधोगिक विकास ना के बराबर है | यहां के सभी खनिज क्षेत्र एवं बड़े उधोग तथा प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी संस्थाए सभी झारखण्ड चली गई | इस कारण बिहार में कार्यशील औघोगिक इकाइयों की संख्या नगण्य ही रह गई | 

6. गरीबी 

बिहार एक ऐसा राज्य है जहां गरीबी का भार काफी अधिक है | राज्य में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के आधे से भी काम है | इसके चलते भी बिहार पिछड़ा है | बिहार में निर्धनता का दुस्चक्र है | 

7. खराब विधि व्यवस्था 

किसी राज्य या देश के लिए शांति तथा सुव्यवस्था जरुरी होती है| लेकिन बिहार में वर्षों तक कानून व्यवस्था कमजोर स्थिति में थी जिसके चलते नागरिक शांतिपूर्वक उद्योग नहीं चला पा रहा था | इस तरह खराब विधि व्यवस्था भी बिहार के पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है | 

8. कुशल प्रशासन का अभाव 

बिहार की प्रशासनिक स्थिति ऐसी हो गई है जिसमे पारदर्शिता का अभाव है | इसके कारण आये दिन भ्रष्टाचार के अनेक उदाहरण सामने आये | 

बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने का उपाय 

बिहार में आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए बिहार के पिछड़ेपन को दूर करना काफी जरूरी है | पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलम ने कहा था “ बिहार के विकास के बिना भारत का विकास संभव नहीं है |” बिहार देश का एक बड़ा राज्य है और इसके विकास के गति में तेजी आने से भारत का विकास भी संभव है | 

1. जनसंख्या पर नियंत्रण 

राज्य में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाया जाय | परिवार नियोजन कार्यकर्मो को लागु किया जाय | इसके लिए राज्य की जनता एवं खास कर के महिलाओ में शिक्षा का प्रचार किया जाय | 

2. कृषि का तेजी से विकास

बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है | अतः कृषि में नये यंत्रो का प्रयोग किया जाए | उत्तम खाद , उत्तम बीज का प्रयोग किया जाए ताकि उपज में वृद्धि ले जा सके | इसी तरह कृषि का तेजी से विकास कर बिहार का आर्थिक विकास किया जा सकता है |   

3. बाढ़ पर नियंत्रण 

बिहार के विकास में बाड़ एक बहुत बड़ा बाधक है | फसल का बहुत बड़ा भाग बाढ़ के चलते बर्बाद हो जाता है | जानमाल की भी काफी क्षति होती है | उतरी बिहार की अधिकांश नदियाँ हिमालय से निकलती है इसलिए नेपाल सरकार के सहयोग से बाढ़ नियंत्रण को सफल बनाया जा सकता है |  

4. आधारिक संरचना का विकास 

बिहार में बिजली की काफी कमी है | अतः बिजली उत्पादन बढ़ाया जाय | सड़क व्यवस्था में सुधर लाया जाय| शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं  लाया जाय जिससे विकास की प्रक्रिया और अधिक बाद सके|

5. उद्योग का विकास 

बिहार से झारखण्ड के अलग से यह राज्य लगभग उद्योग विहीन हो गया था | मुख्यतः चीनी मिले बिहार के हिस्से में रह गई थी जो अधिकतर बंद पड़ी थी | लेकिन बिगत कुछ वर्षो से देश के विभिन्न भागो से तथा विदेशो से पूंजी निवेश लाने के अनवरत प्रयास किये जा रहे है | ताकि वर्तमान में जर्जर अवस्था की उधोगो का पुनर्विकास किया जा सके | 

6. गरीबी दूर करना 

बिहार में गरीबी का सबसे अधिक प्रभाव है | गरीबी रेखा के नीचे लगभग 42% से भी अधिक लोग यहां जीवन-बसर कर रहे है | इसके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाय | स्व रोजगार को बढ़ावा देने के लिए इन्हे प्रशिक्षण दिया जाय | What is Economy?

7. शांति व्यवस्था की स्थापना

बिहार में शांति का माहौल कायम कर व्यापारियों में विश्वास जगाया जा सकता है तथा आर्थिक विकास की गति को तेज किया जा सकता है | What is Economy?

8. स्वच्छ तथा ईमानदार प्रशासन 

बिहार के आर्थिक विकास के लिए स्वच्छ,कुशल तथा ईमानदार प्रशासन जरूरी है | What is Economy?

देश के आर्थिक विकास में बिहार के विकास की भूमिका 

बिहार देश का एक बड़ा राज्य है | भौगोलिक क्षेत्रफल तथा जनसँख्या दोनों ही दृष्टिकोण से बिहार का स्थान भारत में अपना एक अलग महत्व रखता है | इसलिए कहा जाता है की “यदि भारत का विकास करना है तो बिहार का विकास करना आवश्यक है | ” What is Economy?  

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